आप सभी ने कुंभ में नागा साधु को तो देखा ही होगा लेकिन आपको आज हम यह बताएँगे की महिलाएं भी नागा साधू होती हैं जो बिना कपड़ों के रहती हैं आखिर इसके पीछे राज क्या है यह आपको हम यहाँ बताने वाले हैं । अपने अमूमन यह देखा होगा पुरुष नागा साधू निर्वस्त्र होते हैं जबकि महिला नागा साधू के भगवा रंग धारण किया होता है कुछ महिला नागा साधू  बिना कपड़ों के होते हैं एक महिला को नागा साधू बनने के लिए कठिन चरणों से होकर गुजरना पड़ता है इसके लिए उनको 6 से 12 साल तक का समय लगता है तब जाके वह असली नागा साधू बनते हैं असली नागा साधू बनने के लिए गुरु की अवस्यकता होती है जिसमें महिलाओं को 12 वर्ष का ब्रहमचर्या जीवन यापन करना होता है तब जाके वह असली महिला नागा साधू बनते हैं ।

कुंभ में नागा साधु

यह कुंभ का आयोजन तीन साल में चार अलग-अलग जगहों पर किया जाता है । 6 वर्ष में हरिद्वार लगता है ओर पूरा कुम्भ 12 साल बाद प्रयाग में लगता है। सभी 12 कुम्भ मेलाओं के बाद महाकुंभ मेला भी 144 साल के बाद केवल प्रयागराज में ही लगता है। इस कुंभ में नागा साधु ज्यादा मात्र में आते हैं जिसमें कुछ महिला नागा साधू भी होती हैं । कुंभ में नागा साधु इकट्ठा होते हैं कुंभ के दौरान यह स्नान कर अपने सारे पाप धो देते हैं इसके लिए वह विशेष पूजा करते हैं कुंभ का मेला इनके बिना अधूरा माना जाता है सर्दी हो या गर्मी इस मेले में यह नग्न अवस्था मे रहती है जिसमें महिला नागा साधू बिना सिला हुआ वस्त्र पहनती हैं जिसमें वह तन पर राख़ लगाए हुए होती हैं ।

नागा बाबा कपड़े क्यों नहीं पहनते हैं?

साधुओं का कहना है की नागा साधू प्रकृतिक अवस्था को महत्व देते हैं वह मानते हैं की इंसान धरती पर नंगा ही आया है इसलिए वह कपड़े नहीं पहते हैं । इसी भावना को वह आत्मसाध करते हैं ओर प्रकृतिक अवस्था में रहकर ब्रहमचर्या का पालन करते हुए गुरुओं की शिक्षा दीक्षा में अपना जीवन अर्पण कर देते हैं । नागा साधुओं का भोजन शाकाहार होता है कुछ साधू  जानवरों का मांस खाते हैं । जबकि अघोरी साधू समसान के मुरदों का मांस खाते हैं ।

सब नागा साधु किसकी पूजा करते हैं?

महादेव शिव इनके आराध्य देव होते हैं नागा साधू शिव ओर अग्नि की पूजा करते हैं इनका सामान्य जन जीवन से कोई लेना देना नहीं होता हैं । इनके समूह और इनमे कठोर अनुसासन होता है । यह अधिक क्रोधी होती हैं इनके शरीर पर धुनि की रख लगी होती है इनका भोग यही होता है ।

यह है नागा साधु इतिहास

इनका धर्म हिन्दू धर्म होता है यह कठोर नियमों का पालन करते हैं । युद्ध कला में यह नीपूर्ण होते हैं, यह वर्तमान समय में विभिन्न अखाड़ों में रहते हैं । इनका आश्रम हरिद्वार में है भारतीय सनातन धर्म की नीव हिन्दू गुरु आदिगुरु संकराचार्य ने राखी थी यह बात 5 वीं सताब्दी ईसा पूर्व की है । जब भारतीय लोगों की हालत ठीक नहीं थी तब बाहरी लोग भारतीय धन संपदा को लूटने आ रहे थे और वह आक्रमण कर रहे थे  तब उन्होने चारों कोनो मैं 4 पीठों का निर्माण किया । जिसमें नागा साधुओं को हथियार चलाने मैं माहिर बनाया गया जो उस बिसम प्रस्तिथी को काबू करने मेन सक्षम थे । जिनको मठ मंदिरों मेन श्रद्धालुओं के रक्षा के लिए इनका प्रयोग किया जाने लगा ।