सम्मोहन प्राण विद्या एक रहस्यमई प्राचीन विद्या है जिसका उपयोग प्राचीनकालीन से ही चलता आ रहा है यह सम्मोहन प्राण विद्या का अहम हिस्सा भी रहा है। रहस्यमई प्राचीन विद्या सम्मोहन को मनुष्य हिप्नोटिज्म भी कहा जाता है। रहस्यमई प्राचीन विद्या प्राचीन विद्या का वर्तमान में दुरुपयोग काला जादू करने में हो रहा है। वहीं इस विद्या के माध्यम से मनुष्य का उद्धार भी किया जा रहा है।
रहस्यमई प्राचीन विद्या
वर्तमान समय में रहस्यमई प्राचीन विद्या को बहुत कम मनुष्य जानते है। जो जानते हैं वो या तो मनुष्य का उद्धार करते हैं या फिर काला जादू करने में इसका इस्तेमाल करते हैं। आम तौर साधु संत ही इस बिद्या को करने में ज्यादा दिलचस्पी रखते हैं आज इस मॉर्डन ज़माने में लोग अधिकतर अंध विश्वास को नहीं रखते हैं जिनका बिश्वासा जादू टोना टोटका में व तंत्र मन्त्र में रहता है वह इन चीज़ों की और ज्यादा आकर्षित होते हैं। और इन सभी कृत्यों को करते हैं।
सम्मोहन विधा क्या है
इस सम्मोहन विद्या एक गुढ और रहस्यमयी प्राचीनतम और सर्वश्रेष्ठ विद्या है। इस विद्या को ‘प्राण विद्या’ या ‘त्रिकालविद्या’ के नाम से भी जाना जाता है। लोग इसका उपयोग मोहिनी और वशीकरण विद्या को करने में करते है। ‘सम्मोहन’ शब्द ‘हिप्नोटिज्म’ से मिलकर बना है। इस बिद्या से प्राचिनकाल में भारतीय साधु-संत सिद्धियां और मोक्ष प्राप्त करते थे। वर्तमान समय में यह विद्या से काला जादू और लोगों को वश में करने का घिनौना काम जाने लगा है।
ऐसा कहा जाता है की 18 वीं शताब्दी में इस विधा को सीखने के लिये बहुत से विदेशी भारत आने लगे थे। उन्होंने ने भारत की यह विधा का अध्ययन किया और इसका प्रचार करने लग गये। जिसके परिणाम स्वरुप आज वर्तमान में यह विधा खुलकर हर कोई सिकने लगा। भारत की रहस्यमयी विधा को गली गली में हर कोई करने लग गये। भारत की इस रहस्यमय विद्या को अर्ध-विज्ञान के रूप में प्रतिष्ठित कराने का श्रेय सर्वप्रथम ऑस्ट्रियावासी फ्रांस मेस्मर को जाता है । जो अब तेजी से फ़ैल रहा है।