5g के नुकसान, 5g क्या है, 5G नेटवर्क कैसे काम करता है?

5g के नुकसान

5g क्या है, 5G तकनीकी का मतलब है fifth generation. 5G तकनीक मोबाइल की 5वीं पीढ़ी है वर्तमान समय में हम 4G तकनीकी का इस्तेमाल करते हैं जो आम तौर LTE तकनीकी को भी फ़ास्ट इंटरनेट सर्विंग, वायरलेस सर्विस को इंप्रूव करने के लिए डिजाईन किया गया था। लेकिन इसमें 5G जितनी क्षमता नहीं है। अब भारत में 5G network सुरु करने की लगभग पूरी तयारी हो गई है।

5G एक साॅफ्टवेयर आधारित नेटवर्क है चीन, अमेरिका, जापान, आस्ट्रेलिया, बहरीन, दक्षिण कोरिया, कनाडा और जर्मनी जैसे देशों में काफी पहले से 5G का उपयोग किया जा रहा है। 5G नेटवर्क सुरु होते है ही आपको अपने मोबाइल फोन भी बदलने पड़ सकते हैं 5G नेटवर्क आने से आप इंटरनेट का उपयोग काफी तेज़ी से कर पाएंगे साथ ही में आपको रोबोटिक्स जैसी सुविधाएं भी मिल सकती हैं। 

5g के नुकसान

 5g से आपकी ज़िंदगी पूरी तरह से बदल जाएगी, 5g के नुकसान को आप बच्चो में, गर्भवती महिलाओं में  मोबाइल टावर/एंटेना के आस पास रेडियो फ्रिक्वेंसी रेडिएशन एक प्रकार का इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन होता  है, जो विद्युत और चुंबकीय क्षेत्रों का एक संयोजन है जो तरंगों के रूप में एक साथ अंतरिक्ष से गुजरता है।

5g के नुकसान मैं निकल रहे रेडिएशन से डायबिटीज आपको सिर में झनझनाहट, नींद न आना,बीपी, सिर दर्द,आंखों में ड्राइनेस, कैंसर और ब्रेन ट्यूमर जैसी गंभीर बीमारी हो सकती है।  मोबाइल रेडिएशन में माइक्रोवेव्स होती हैं, जो बॉडी के सेल्स में वाइब्रेशन करता है। यह वाइब्रेशन कोशिकाओं के अवयवों को नष्ट कर देता है। जिससे आपको काफी नुकसान हो सकता है। 

और 5G नेटवर्क में डेटा को तेज़ी से ट्रांसफर करने के लिए काफी ज्यादा टावर लगाने होंगे  लेकिन, एक्सपर्ट्स इससे सहमत नहीं हैं उनका कहना है कि अगर भारत रेग्युलेटरी अथॉरिटी द्वारा बनाए गए सुरक्षा उपायों इस्तेमाल करता है तो ऐसा कुछ नहीं होगा।

विश्व स्वास्थ्य संगठन का भी कहना है की रेडियो फ्रिक्वेंसी की वजह से सिर्फ एक ही प्रभाव पड़ेगा जो शरीर का तापमान बढ़ना जैसी शिकायत होगी। और शरीर का तापमान बढ़ने से आपकी तबियत को ज्यादा नुकसान नहीं होगा। 

5G नेटवर्क कैसे काम करता है? 

5G सेलुलर टेक्नोलॉजी इसमें एक कदम आगे बढ़ कर क्लाउड से क्लाइंट को कनेक्ट करेगा, 5G एक नए प्रोसेस के जरिए वन सिंगल डिजिटल सिग्नल को डिफरेंट चैनल्स में रेगुलेट करेगा, इस प्रोसेस को OFDM कहा जाता है। 

 OFDM ये सुनिश्चित करता है सिग्नल में कम से कम इंटरफेरेंस हो. वायरलेस संचार प्रणाली हवा के माध्यम से जानकारी ले जाने के लिए रेडियो फ्रीक्वेंसी (जिसे स्पेक्ट्रम के रूप में भी जाना जाता है) का उपयोग करती है।

5G उसी तरह से संचालित होता है, लेकिन उच्चतर रेडियो फ्रीक्वेंसी का उपयोग करता है जो कम अव्यवस्थित होती हैं। यह इसके लिए अधिक तेज़ दर पर अधिक जानकारी ले जाने की अनुमति देता है। 

इन उच्चतर बैंडों को 'मिलीमीटर वेव्स' (mmwaves) कहा जाता है । वे पहले अप्रयुक्त थे लेकिन नियामकों द्वारा लाइसेंस के लिए खोले गए थे। वे बड़े पैमाने पर जनता से अछूते थे क्योंकि उनका उपयोग करने के उपकरण काफी हद तक दुर्गम और महंगे थे।

5G तकनीक कई वर्चुअल नेटवर्क में भौतिक नेटवर्क को 'स्लाइस' करने में भी सक्षम होगी। यह इस बात पर निर्भर करता है कि इसका उपयोग कैसे किया जा रहा है, और इस तरह से वे अपने नेटवर्क का बेहतर प्रबंधन कर सकते हैं। जिसमें आप अपने वाहन को रिमोट द्वारा भी नियंत्रित करने जैसी कई सुविधाएं प्राप्त होगी। 

और नया पुराने