हरे-भरे पेड़ो से गुलजार जंगल को नस्ट कर- होगा विकास

Savethano

 भारत का एक मात्र राज्य उत्तराखंड और यहाँ बसा देहरादून शहर जो प्रदूषण के मामले मे Pollution Index: में 70.01 Points आगे है।

 जो एक चिन्ता का विषय हे, जिसमे देहरादून वायु प्रदूषण में 59. 27 पर है जो यहाँ के लोगो के लिए हानिकारक है।

जहां पूरा बिश्वा पेड़ लगाने की बात कर रही हो वही उत्तराखंड सरकार ने 

देहरादून जौलीग्रांट एयरपोर्ट विस्तार परियोजना के तहत 10 हजार से अधिक पेड़ो को काटने का प्रस्ताव रखा गया है।

जिससे स्थानीय लोग और पर्यावरण प्रेमी, छात्र संघटन, सामाजिक कर्ता, आदि गुस्साए हुए है,

 जिसके चलते 18 अक्टूबर को थानों क्षेत्र, जॉलीग्रांट एयरपोर्ट पर बड़ी संख्या में बिरोध जताया हे 

जिसमे आंदोलन कर्ताओ ने पेड़ो से चिपक कर चिपको आंदोलन सुरु करने का आगाज किया है।

इससे पहले आल वेदर रोड परियोजना में भी अँधा धुंध पेड़ो को बड़ी बेरहमी से काटा गया था 

जो पहाड़ी पर बने बिसाल काय पेड़ को मशीनो से धुआँ धार तरीके से गिराया गया लेकिन बदले में एक भी नहीं लगाया गया।

 बदले में 10 गुना पौधे-पेड़ लगाए जाने थे, वो पेड़-पौधे आज तक कही पर नाम मात्र के भी नहीं लगाए गए।  

बिरोध प्रदर्शन में सरकार द्वारा लिया गया इस निर्णय से चिंता जता कर कहा की सरकार का पर्यावरण नस्ट करने का यह एक निंदनीय कदम है,

 स्टूडेंट फेडरेशन के नेता हिमांशु चौहान का कहना है की लोग पहाड़ में छुटिया मनाने आते है।

जो लोगो के लिए एक घूमने फिरने और एकांत प्रकृति का आनन्द लेने एवं पर्यटन का स्थान हे 

और सरकार द्वारा रायपुर थानो (जौली ग्रांट एयरपोर्ट के समीप)  में 243 एकड़ जमीन में भारतीय हवाई अड्डा प्राधिकरण (Airport Authority of India) को हवाई अड्डा है।

और इसके विस्तार करने के लिए  नेशनल वाइल्डलाइफ बोर्ड (NWB) से 10 हजार पेड़ काटने की मंजूरी मांगी है।

 सरकार यह तय कर चुकी है कि इसी स्थान पर हवाई अड्डे का विस्तार होना है।

यह इलाका शिवालिक एलीफैंट रिज़र्व  के इलाका हे इसीलिए संबंधित निकायों से मंजूरी ली जा रही है।

 243 एकड़ मतलब 200 फुटबॉल मैदानों के बराबर का इलाका जिसमें सघन साल-सगौन का नम पर्णपाती वन फैला हुआ है।

 इतने बड़े इलाके में पेड़ों का कटान का सीधा मतलब अंधा विकास है।

उत्तराखण्ड कांग्रेस पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकान्त धस्माना ने इस मुद्दे पर अपना दृष्टिकोण रखते हुए कहते है 

कि यह विकास एक सतत प्रक्रिया है और विकास के रास्ते में यह सारी बधाऐं आती हैं.

सरकार को ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए थी जो चार धाम परियोजना के नाम पर लाखों पेड़ काटे गए उस के खिलाफ पहले से ही

 पूरे राज्य में एक बड़ा अभियान चलाते उस में वनीकरण करते और राज्य में वनीकरण अभियान चलाना चाहिए था.



यातायात की दृस्टि से दिल्ली,देहरादून, अन्य जगह आने के लिए महज 5-6 घण्टे गाड़ी से 

आने जाने में लगते हे जिससे लोग पर्याप्त मात्रा में आ जा सकते हे। 

Thano dehradun Forest

एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने 24 सितंबर को अपने ट्विटर हैंडल पर जानकारी दी थी

 कि अथॉरिटी की ओर से 353 करोड़ रुपये का विस्तारीकरण का कार्य चल रहा है।

जिसमें टर्मिनल बिल्डिंग, कार पार्किंग, सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट, रेन वाटर हार्वेस्टिंग स्ट्रक्चर जैसे कार्य किए जाने हैं।

प्रदर्शन कारियो  ने कहा की यहाँ तरह तरह की चिड़िया, शेर, भालू, हाथी आदि प्रकार के अन्य जानवरो का घर उजाड़ दिया जायेगा वो बेघर हो जायेंगे।

 अगर यह फैसला रोका नहीं गया तो प्रकृति का भयंकर नुकसान साबित होगा जिससे मानव जीवन खतरे में है।



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