भारत में नए समाचार पत्रों के प्रकाशन में वृद्धि
इन आदेशों से पत्रकारिता के विकास के नए आयाम खोले पूर्व गवर्नर जनरल के कठोर प्रतिबिंब के कारण जहां कोई व्यक्ति समाचार पत्र प्रकाशन में रुचि ही नहीं दिखा रहा था वही इन आदेशों के बाद अनायास ही समाचार पत्रों की शाखा में वृद्धि होने लगी इन आदेशों में मुख्य बात यह थी कि पत्र के प्रकाशन के पूर्व ही सेंसरशिप अथवा सरकारी अधिकारी को प्रूफ दिखाने की बाध्यता हटा दी गई थी अब पत्र में प्रकाशित संपूर्ण सामग्री के लिए संपादक ही जिम्मेदार था इस अधिनियम को लागू करने के कारण हेस्टिंग्स को काफी प्रशंसा और बधाई मिली
भारतीय पत्रकारिता का प्रारंभ भी हेस्टिंग्स के शासनकाल में ही प्रारंभ हो गया था अंग्रेजी भाषा में पहला भारतीय समाचार पत्र 1816 में प्रकाशित हुआ जिसके संपादक श्री गंगाधर भट्टाचार्य थे श्री भट्टाचार्य उदारवादी विचारधारा की थी तथा राजा राममोहन राय से काफी प्रभावित थे द बंगाल गजट नामक यह पत्र एसजीबी ही रहा किंतु श्री गंगाधर भट्टाचार्य की सेवाएं भारतीय पत्रकारिता में महत्वपूर्ण स्थान रखती है श्रीमती मार्गेरीटा burns के अनुसार यह पत्र अल्प जीवी था श्री जे नटराजन history of Indian journalism मैं लिखते हैं कि यह पत्र 1 वर्ष तक चला श्री जैनेंद्र कुमार मजूमदार के अनुसार यह साप्ताहिक सन 1820 तक निकलता रहा ऐसी संभावना भी है कि इस प्रकाशन को राजा राममोहन राय ने ही प्रारंभ किया था श्री एस नटराजन लिखते हैं संभवतः राजा राम मोहन राय इस नवीन प्रकाशन के लिए उत्तरदाई थे.
अप्रैल 1818 में श्रीरामपुर से बंगाली भाषा के मासिक पत्र दिग्दर्शन का प्रकाशन भाषाई पत्रकारिता में महत्वपूर्ण घटना है वह प्रेस मिशनरियों के इस पत्र के संपादक मर्समैन थे अप्रैल 1818 से मार्च 1819 और जनवरी से अप्रैल 18 से 20 तक दिग्दर्शन के बंगाल और अंग्रेजी भाषा में 16 अंक प्रकाशित हुई हिंदी के 3 अंक प्रकाशित किए जाने की सूचना भी मिलती है वह टेस्ट मिशनरियों के दो अन्य प्रमुख पत्र थे बंगाल साप्ताहिक समाचार दर्पण तथा अंग्रेजी मासिक फ्रेंड ऑफ इंडिया (friend of India) , अब फ्रेंड ऑफ इंडिया 2 वर्ष बाद त्रैमासिक हो गया समाचार दर्पण का प्रकाशन 23 मई 1818 से 1840 तक ही हुआ वेक्टिस मिशनरियों की आस्था व भावनाओं का वाहक समाचार दर्पण बंगाल की 7 स्थानों या क्षेत्रों के समाचारों से भी अवगत कराता था लॉर्ड हेस्टिंग्स ने इसे दा की सुविधा प्रदान की तथा lord Aimsheart की दो प्रतियां खरीदकर सरकारी विभागों में वितरित करता था.
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साहित्य